एमपी में सरकारी सिस्टम फेल, इंसानियत हुई पास!
बस बनी ‘अस्पताल’, ड्राइवर-कंडक्टर बने ‘देवदूत

पन्ना। बस ड्राइवर और कंडक्टर की सूझबूझ और तत्परता ने एक गर्भवती महिला और उसके नवजात शिशु की जान बचा ली। हालांकि यहां स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही भी सामने आई है। दरसल गर्भवती महिला निशा कुशवाहा के परिजन पूरी रात 108 एम्बुलेंस को कॉल करते रहे मगर सुबह तक एम्बुलेंस नहीं पहुंची। परिजनों ने एक बस का सहारा लिया लेकिन महिला जैसे ही बस में चढ़ी उसे प्रसव पीड़ा होने लगी। जिसके बाद सभी ने उसे अमानगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती होने की सलाह दी मगर महिला ने कहां की डॉक्टरों ने उसे जिला अस्पताल जाने की सलाह दी है। चालक ने और सभी ने यह फैसला लिया कि वह बस को सीधे जिला अस्पताल में लेकर जाएंगे। सभी ने बस को अस्पताल की तरह पर्दे लगाकर पैक कर दिया और उसे अस्पताल में तब्दील कर दिया। हालांकि कोई जानकार न होने की वजह से महिला के बच्चे का सिर बाहर निकल आया और बीच बस में सवार लोगो की चिंताएं और बढ़ गई। ड्राइवर सिद्दीक राइन और कंडक्टर आशीष पाल ने स्थिति की गंभीरता को समझा। उन्होंने तुरंत बस को तेजी से पन्ना अस्पताल की ओर दौड़ाया और समय रहते अस्पताल के गेट तक पहुंच गए। उनकी सूचना पर अस्पताल से दाइयां आईं और जच्चा-बच्चा को सुरक्षित रूप से अस्पताल के अंदर ले गईं।