
26 नवंबर 2008, इस तारीख को भारत कभी नहीं भूल सकता. 26 नवंबर 2022 को देश इस आतंकी हमले की 14वीं बरसी मनाने वाला है, लेकिन इस दिन को याद करके देशवासी आज भी सिहर जाते हैं. अगर ये कहें कि ये आजाद भारत के इतिहास में ये सबसे बड़ा आतंकी हमला था, तो गलत नहीं होगा. इस हमले में 18 सुरक्षाकर्मियों सहित 166 लोग मारे गए थे और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. आतंकियों ने देश के सबसे सुरक्षित जगहों में से एक ताज महल होटल को निशाना बनाकर हमारी सुरक्षा व्यवस्था के दावों को भी तार-तार कर दिया था.

उन मनहूस चार दिनों की खूनी यादें आज 14 साल बाद भी जस-की-तस उन आंखों में बसी हुई हैं, जिन आंखों ने चार दिनो तक चली वो खूनी होली अपनी आंखों से देखी थी. फिर चाहे वो इस इंसानी दुनिया का कोई आम बाशिंदा हो या फिर दुनिया के किसी भी देश की पुलिस. उन चार दिनों चले खूनी खेल में पाकिस्तानी आतंकवादियों ने जी भर के खून की होली खेली थी. मुंबई में 12 अलग अलग जगहों पर गोलीबारी और बमबारी का वो नंगा नाच था. पाकिस्तान और उसके टुकड़ों पर पलने वाले मुंबई हमले में शामिल आतंकवादियों की वैश्विक स्तर पर निंदा हुई थी.
26/11 के आतंकी हमले को आज 14 साल पूरे हो गए हैं. इस हमले की 15वीं बरसी पर राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने ट्वीट कर हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी.
पाकिस्तान के कराची से सभी 10 आतंकी एक नाव के जरिए मुंबई के लिए निकले थे. समंदर के रास्ते ही उन्होंने मुंबई में एंट्री की. भारतीय नौसेना को चकमा देने के लिए रास्ते में उन्होंने एक भारतीय नाव को अगवा किया और नाव में सवार सभी लोगों को मार दिया. इसी नाव के जरिए वे रात करीब 8 बजे कोलाबा के पास मछली बाजार में उतरे. स्थानीय मछुआरों को उनपर कुछ शक भी हुआ. उन्होंने पुलिस को इसकी सूचना भी दी, लेकिन पुलिस ने इसे हल्के में ले लिया.
हमले के बाद NSG और मुंबई पुलिस ने 3 दिनों तक चले जॉइंट ऑपरेशन में 9 आतंकवादियों को मार गिराया, जबकि अजमल कसाब नाम के एक आतंकी को जिंदा गिरफ्तार किया, जिसे बाद में कोर्ट द्वारा फांसी की सज़ा दी गई. इस आतंकी को 26/11 हमले की चौथी बरसी से पहले 21 नवंबर 2012 को फांसी पर लटका दिया गया.
इस आतंकी हमले में सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच 3 दिनों तक मुठभेड़ चलती रही. इस कार्रवाई के दौरान भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर की नजरें ताज, ओबेरॉय और नरीमन हाउस पर टिकी हुई थीं. 26/11 हमले के बाद देश के तत्कालीन गृह मंत्री शिवराज पाटिल और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया.