
नई दिल्ली. युद्ध में शहीद सैन्य अफसरों की पत्नियों को पुनर्विवाह के बाद शॉर्ट सर्विस कमीशन के जरिये सेना के अधिकारी के रूप में करियर बनाने का मौका मिल सकता है. सूत्रों के अनुसार, रक्षा मंत्रालय संसदीय समिति की उस सिफारिश पर विचार कर रहा है, जिसमें पुनर्विवाह पर शहीद की पत्नियों को आरक्षित सीटों पर चयन का लाभ देने से वंचित कर दिया जाता है.
मौजूदा नियमों के तहत शहीदों की पत्नियों के लिए एसएससी (टेक्निकल) और नॉन टेक्निकल में पांच फीसदी सीटें सुरक्षित हैं. जरूरी योग्यताएं रखने वाली शहीद की पत्नी को बोर्ड में सीधे इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है. हालांकि, यह पाया गया है कि इस कोटे की ज्यादातर सीटें खाली रह जाती हैं.
इसके पीछे एक कारण यह भी पाया गया कि शहीदों की पत्नियों यदि फिर विवाह कर लेती हैं, तो उन्हें कोटे का लाभ नहीं मिलता. इसलिए अनेक शहीदों की पत्नियां आवेदन नहीं कर पाती हैं. यह नियम अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा है. इसे हटाने की मांग की जा रही थी.