यमुना नदी विदेशी परिंदों से गुलजार पर दिल्ली की ओबाहवा नहीं भा रही

नई दिल्ली. एशिया के अत्यधिक सर्द इलाकों से वर्षों से भारत का रुख कर रहे परिंदे अभी दिल्ली का रास्ता भूले नहीं हैं, लेकिन दिल्ली की ओबाहवा उन्हें ज्यादा रास नहीं आ रही है.
बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी प्रदूषित यमुना को अभी भी अपना ठिकाना बना रहे हैं, लेकिन वे ज्यादा दिन यहां टिक नहीं रहे हैं. वेटलेंड इंटरनेशनल की तरफ से की गई एशियन वाटरबर्ड सेंसेस के नतीजों में यह बात कही गई है.
कुल प्रवासी पक्षियों की संख्या में इजाफा इकोलॉजिस्ट और एशियन वाटरबर्ड सेंसेस के दिल्ली के समन्वयक टीके राय ने कहा कि कुल प्रवासी पक्षियों की संख्या में इजाफा हुआ है. प्रजातियां भी ज्यादा दिखीं हैं. लेकिन, नोट करने लायक असल बात यह है कि ये प्रवासी परिंदे दिल्ली में पूरी सर्दी बिताकर लौटने के बजाय एक पखवाड़े से लेकर डेढ़ महीने के बीच आगे की राह पकड़ लेते हैं.
राय के नेतृत्व में शनिवार को यमुना में वजीराबाद से लेकर निजामुद्दीन बैराजों के बीच जल पक्षियों की गणना का कार्य पूरा किया गया.
इस साल 27 प्रजातियों के कुल 2451 पक्षी दिखे हैं. यह संख्या पिछले साल की तुलना में ज्यादा है, तब 24 प्रजातियों के 2052 पक्षी मिले थे. यह संख्या सभी प्रकार के पक्षियों की है. यमुना में कई किस्म के पक्षी सदा से रहते हैं, जैसे ब्लैक विंग स्टिल्ट जिसे गजपांव के नाम से भी जानते हैं, इनकी संख्या में वृद्धि देखी गई है. इनकी संख्या 192 से बढ़कर 236 तक पहुंची है. पर, यमुना में दिखने वाली परंपरागत टिटिहरी की संख्या कम हुई है.
इकोलॉजिस्ट और एशियन वाटरबर्ड सेंसेस के दिल्ली के समन्वयक टीके राय के अनुसार, दिल्ली के वायु प्रदूषण के साथ-साथ यमुना में जल प्रदूषण, खाद्य पदार्थों की कमी, सर्दी का देर से आना तथा जल्दी खत्म होना कई ऐसे कारण हैं, जिनके चलते प्रवासी पक्षी अब दिल्ली में ज्यादा समय तक पड़ाव नहीं डालते हैं. हालांकि, वह पहले की तुलना में ज्यादा संख्या में इधर का रुख कर रहे हैं. इतना ही नहीं उत्तर भारत के तमाम जलाशयों में किए गए सर्वेक्षण यही रुझान दिखाते हैं.