
रायपुर. परिवहन विभाग अब बिना जीपीएस और पैनिक बटन वाली यात्री, सिटी और स्कूल बसों का फिटनेस नहीं करेगा. चेतावनी देने के बाद भी इसे नहीं लगाने वाले बस मालिकों के परमिट निरस्त कर दिए जाएंगे. राज्य सरकार के निर्देश पर परिवहन विभाग द्वारा सभी आरटीओ और एआरटीओ को निर्देश दिए गए है. उन्हें फिटनेस जांच के बाद जारी किए जाने वाले प्रमाणपत्र में जीपीएस और पैनिक बटन लगाने के लिए लिखकर देने कहा गया है. ताकि दोबारा जांच के लिए आने से पहले उन बसो में अनिवार्य रूप से लगाया जा सके. वहीं अवहेलना करने पर उनके बसों का फिटनेस नहीं करने और परमिट को निरस्त किया जा सकें. बता दें कि बसों के मूवमेंट को देखने के लिए सिविल लाइंस स्थित डायल 112 स्थित दफ्तर में अलग से कंट्रोल रूम बनाया गया है. यहां चिप्स द्वारा सॉफ्टवेयर फिट करने के साथ ही इसे शुरू करने की तैयारी चल रही है. इसके जरिए बसों के मूवमेंट की 24 घंटे निगरानी की जाएगी. किसी भी तरह की आपात स्थिति निर्मित होने और मदद के लिए पैनिक बटन दबाने पर तुरंत सहायता पहुंचाई जा सकें.
जीपीएस और पैनिक बटन लगाने के लिए बस मालिक को करीब 10000 रुपए खर्च करना पड़ेगा. इसे लगाने के बाद ही उनकी बसों का फिटनेस किया जाएगा. हालांकि 2019 के बाद नई बसों में कंपनी द्वारा ही जीपीएस फीट किया गया है. पुरानी बसों में इसे लगाने के लिए परिवहन विभाग को कवायद करनी पड़ेगी. बता दें कि इस समय राज्य में इस समय प्रदेश में 10000 से ज्यादा यात्री बसें, 5000 स्कूल और सिटी बसें चल रही है. इन सभी को जीपीएस और पैनिक बटन से लैस किया जाना है. जाएगा.
यात्री बसों के दोनों दरवाजों और बीच अलग-अलग स्थानों में तीन पैनिक बटन लगाया जाएगा. यह जीपीएस के साथ कनेक्ट रहेगा. पैनिक बटन दबाते ही डायल-112 के कंट्रोल रूम में खतरे का अलार्म बजने लगेगा. जीपीएस से बस के लैस होने से किस बस और कहां पर बजाया गया तत्काल उसकी जानकारी कंट्रोल रूम को मिलेगी. वहीं बस का लोकेशन कंट्रोल रूम की स्क्रीन पर नजर आने लगेगी. इसके आधार पर ड्राइवर-कंडक्टर से संपर्क कर जानकारी ली जाएगी. वहीं नेटवर्क विहीन क्षेत्र और संपर्क नहीं होने पर करीबी थाने को सूचना देकर मदद भेजी जाएगी.