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गोल्ड बॉन्ड तीन साल में सबसे कम रही मांग

सोने में निवेश को लेकर आम लोगों में भी हमेशा उत्साह देखा गया है. मौजूदा समय में इसमें निवेश के लिए कई विकल्प बाजार में हैं. हालांकि, इसके बावजूद चालू वित्त वर्ष में अब तक गोल्ड बॉन्ड की मांग घटकर 8.73 टन के बराबर रह गई है. यह इसका तीन साल का निचला स्तर है.

बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि सोने की मौजूदा ऊंची कीमत गोल्ड बॉन्ड की मांग में गिरावट की मुख्य वजह है. इसके अलावा शादी-विवाह के मौसम में ज्वेलरी खरीदने की परंपरा से भी गोल्ड बॉन्ड की मांग घटी है. उनका कहना है कि सोना अभी उच्चतम स्तर पर कारोबार कर रहा है. ऐसे में मौजूदा समय में जारी किए गए गोल्ड बॉन्ड की कीमत भी ऊंची होती है.

विशेषज्ञों का कहना है कि इसकी वजह से भविष्य में ज्यादा ऊंचा भाव नहीं जाने की आशंका में निवेशक बॉन्ड की खरीदारी से दूर हुए हैं.

क्या होता है गोल्ड बॉन्ड

यह सरकार की ओर से जारी निवेश पत्र (बॉन्ड) है. यह सोने में निवेश का विकल्प है. इसे सरकार की ओर से रिजर्व बैंक जारी करता है. इसकी खरीदारी म्यूचुअल फंड की तरह यूनिट में की जाती है. इसे बेचने पर सोना नहीं बल्कि उस समय उसके मौजूदा मूल्य के आधार पर राशि मिलती है. इसमें न्यूनतम एक ग्राम सोने के बराबर राशि निवेश कर सकते हैं.

इसमें दस्तावेज के रूप में और डिजिटल रूप में भी निवेश कर सकते हैं. रिजर्व बैंक इसकी खरीदारी के लिए डिजिटल भुगतान पर 50 रुपये प्रति 10 ग्राम की छूट भी देता है. इसकी परिपक्वता अवधि आठ साल की है. लेकिन पांच साल पूरा होने पर इसमें से राशि निकलने की छूट है.

अब तक कुल 62 बार गोल्ड बॉन्ड जारी हुए हैं. इनमें से 21 पांच साल की अवधि पूरी कर चुके हैं. इसके बावजूद निवेशकों ने निकासी नहीं की है. आईआईएफएल के उपाध्यक्ष अनुज गुप्ता का कहना है कि लंबी अवधि में सोने ने निराश नहीं किया है और इसे देखते हुए ही निवेशक बॉन्ड से राशि नहीं निकाल रहे.

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