
महज छह साल की एक बच्ची का यौन उत्पीड़न करने के मामले में उच्च न्यायालय ने एक मुस्लिम धर्मगुरु को विशेष अदालत द्वारा सुनाई गई छह कैद की सजा को बरकरार रखा है.
न्यायालय ने कहा है कि ‘दूसरों को कुरान की शिक्षाएं देने वाले मौलवी पर बहुत भरोसा किया जाता है और उन्हें सम्मान की नजरों से देखा जाता है लेकिन इस मामले में दोषी ने एक मासूम बच्ची के भरोसे को न सिर्फ आघात पहुंचाया है बल्कि उसका यौन उत्पीड़न किया है. जस्टिस पूनम ए. बम्बा ने दोषी मौलवी हाफिज को राहत देने से इनकार करते हुए उसकी अपील को खारिज कर दिया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वह (मौलवी) किसी तरह के दया और रहम पाने का हकदार नहीं है. न्यायालय ने कहा है कि तथ्यों से साफ है कि दोषी मौलवी ने बच्ची का यौन उत्पीड़न किया, जो घटना के समय महज छह साल साल की थी. निचली अदालत के फैसले में किसी तरह के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है.
दोषी हाफिज ने जेल में बिताये गये समय के बराबर की अवधि को सजा मानते हुए राहत देने की मांग की थी.