अंटार्कटिक में जल्द सैर करने और मछली पकड़ने की मंजूरी मिलेगी

अंटार्कटिक अधिनियम-2022 के प्रावधानों को लागू करने की दिशा में तेजी से कार्य चल रहा है. इन प्रावधानों के लागू होने से अंटार्कटिक में सैर, शोध और मछली पकड़ने के लिए सरकार से अनुमति मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा. पृथ्वी विज्ञान विभाग के सचिव की अध्यक्षता में बनने वाली समिति (कमेटी ऑफ अंटार्कटिक गवर्नेस एंड एनवायरमेंटल प्रोटेक्सन) मामला-दर-मामला इस प्रकार की अनुमति प्रदान करेगी.
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सूत्रों के अनुसर, इस दिशा में कार्य तेजी से चल रहा है. पिछले साल यह विधेयक संसद से पारित हुआ था, जिसका मकसद अंटार्कटिक को लेकर वैश्विक संधियों को कानूनी स्वरूप प्रदान करना तो था ही, साथ ही सरकार ने अंटार्कटिक के लिए परमिट देने की व्यवस्था भी शुरू करने का प्रावधान किया है. जो पहले नहीं था. इससे भारत की अंटार्कटिक में कई क्षेत्रों में गतिविधियां बढ़ेंगी, लेकिन संधि के अनुरूप वह विनियमित भी रहेंगी.
अंटार्कटिक मरीन लीविंग रिसोर्सेज से लेनी होगी अनुमति इसी प्रकार अंटार्कटिक में अब भारतीय एजेंसियां व्यावसायिक स्तर पर मछलियां पकड़ने का कार्य भी कर सकेंगी. हालांकि, इसके लिए उन्हें भारत से अनुमति लेने के साथ ही एक अंटार्कटिक समिति कन्वेंसन आफ अंटार्कटिक मरीन लीविंग रिसोर्सेज से भी अनुमति लेनी होगी. पर्यटन, शोध के लिए भारत सरकार की अनुमति होगी.
सर्वे ऑफ इंडिया का ड्रोन हुआ क्रैश
देहरादून, शैलेन्द्र सेमवाल . अंटार्कटिका में सर्वे ऑफ इंडिया का ड्रोन क्रैश होने से थ्री-डी मैपिंग का सर्वे कार्य अधूरा रह गया. अब मैपिंग का काम अगले अंटार्कटिका अभियान में आगे बढ़ाया जाएगा. अंटार्कटिका में ढाई महीने बिताकर सर्वे ऑफ इंडिया की टीम दून लौट आयी है.
देहरादून स्थित सर्वे ऑफ इंडिया के सर्वेयर टीम को अंटार्कटिका का थ्रीडी मैप तैयार करने के लिए ड्रोन के जरिये 68 वर्ग किमी का सर्वे करना था. लेकिन वहां की विपरीत परिस्थितियों के चलते ड्रोन पूरी क्षमता के साथ कार्य नहीं कर पाया और क्रैश हो गया. इस कारण सिर्फ दो वर्ग किमी का ही सर्वे किया जा सका.ऑफ इंडिया की जियोडिक विंग जीएंडआरबी के निदेशक नीरज गुर्जर ने बताया कि, ड्रोन से सर्वे का यह हमारा पहला प्रयास था. टीम का यह अनुभव अगले दल के काम आएगा. ड्रोन के साथ टीम के अनुभवों की रिपोर्ट तैयार की जा रही है.
भारतीय पर्यटकों को भी परमिट मिल सकेगा
अंटार्कटिक में अभी भी कई देश पर्यटक भेज रहे हैं. संबंधित देश अपने कानूनों के जरिये शर्तों के साथ यह अनुमति प्रदान कर रहे हैं. नए कानून के बनने के बाद भारतीय पर्यटकों को भी अंटार्कटिक यात्रा का परमिट मिल सकेगा. इसमें शिप और वायुयान की लैंडिंग तक भी शामिल है. इसके लिए उन्हें प्रक्रियाओं और शर्तों को पूरा करना होगा.