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शिवसेना बनाम शिवसेना मामले में राज्यपाल राजनीति के अखाड़े में प्रवेश नहीं करें  कोर्ट

शिवसेना बनाम शिवसेना मामले में नबाम रेबिया फैसले को बड़ी पीठ को भेजने के मुद्दे पर फैसला सुरक्षित रखते हुए उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र के राज्यपाल से कहा कि वह राजनीति के अखाड़ा क्षेत्र में प्रवेश नहीं करें. शीर्ष अदालत ने कहा कि सरकार किसकी गठित होगी किसकी नहीं, राज्यपाल को यह सब कहते हुए कैसे सुना जा सकता है. सरकार के गठन पर, राज्यपाल यह कैसे कह सकते हैं, जब वे सरकार बनाते हैं, तो राज्यपाल को विश्वास मत देने के लिए कहा जाता है. हम केवल यह कह रहे हैं कि राज्यपाल को राजनीतिक अखाड़े में प्रवेश नहीं करना चाहिए.

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने यह टिप्पणी तब कि जब राज्यपाल की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बहस करने की अनुमति मांगी. मेहता ने कहा कि वह तथ्यों के साथ अपने तर्कों को केवल यह दिखाने के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं कि नबाम रेबिया एक सही निर्णय था.

मेहता ने कहा कि हमारे पास दो दलीय प्रणाली नहीं है. भारत बहुदलीय लोकतंत्र है. बहुदलीय लोकतंत्र का मतलब है कि हम गठबंधन के युग में हैं. गठबंधन दो तरह के हैं – चुनाव पूर्व गठबंधन, चुनाव के बाद गठबंधन. चुनाव के बाद आमतौर पर गठबंधन संख्या को पूरा करने के लिए अवसरवादी गठबंधन होता है, लेकिन चुनाव पूर्व गठबंधन एक सैद्धांतिक गठबंधन है. दो राजनीतिक दलों-भाजपा और शिवसेना के बीच चुनाव पूर्व गठबंधन था. जैसा कि किहोतो होलोहोन फैसला कहता है, जब आप मतदाता के सामने जाते हैं, तो आप एक उम्मीदवार के रूप में नहीं, बल्कि एक राजनीतिक विचारधारा का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतिनिधि के रूप में जाते हैं, जो जाकर कहेगा, यह हमारा साझा विश्वास है, हमारा साझा एजेंडा है. मतदाता व्यक्तियों के लिए नहीं, उस विचारधारा के लिए वोट करता है, जिसे पार्टी दिखाती है.

ठाकरे गुट की तरफ से सिब्बल ने पक्ष रखा

ठाकरे गुट के वकील सिब्बल ने कहा कि राज्यपाल यह सब कैसे कह रहे हैं, या तो उनके बयान को राज्यपाल की दलील के रूप में दर्ज किया जाना चाहिए. इस पर तुषार मेहता ने कहा कि यह उनकी अपनी बहस है, लेकिन सिब्बल ने कहा कि मेहता स्वतंत्र कैसे हो सकते हैं, वह राज्यपाल के लिए बहस कर रहे हैं और कह रहे हैं कि वह अपनी क्षमता में दलीलें दे रहे हैं.

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