
नई दिल्ली . केंद्र सरकार ने कहा कि ट्रांसजेंडर, समलैंगिक पुरुषों, महिला यौनकर्मियों को रक्तदान की इजाजत नहीं है. रक्तदाताओं की सूची से बाहर करने के दिशानिर्देशों को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र ने यह जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दी है. केंद्र ने कहा कि यह फैसला वैज्ञानिक अध्ययनों के आधार पर किया गया है.
सरकार ने तमाम अध्ययनों का हवाला दिया है और कहा कि इनमें कहा गया है कि इस समूह के लोगों का रक्त स्वास्थ्य की दृष्टि से उच्च जोखिम वाला है. शपथपत्र में केंद्र सरकार ने कहा है कि उठाए गए मुद्दे कार्यपालिका के दायरे में आते हैं और व्यक्तिगत अधिकारों के दृष्टिकोण के बजाय सार्वजनिक स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से विचार करने की आवश्यकता है.
याचिका ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्य थंगजम संता सिंह ने वकील अनिंदिता पुजारी के माध्यम से दायर की है. उन्होंने एनबीटीसी और नेशनल एड्स नियंत्रण द्वारा अक्तूबर 2017 में रक्तदाता चयन और रक्तदाता रेफरल, 2017 दिशानिर्देशों का विरोध किया है. दिशानिर्देशों में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों, समलैंगिक पुरुषों और महिला यौनकर्मियों को उच्च जोखिम वाले एचआईवी-एड्स श्रेणी का मानते हैं और उन्हें रक्तदान करने से रोकते हैं.
एड्स से ग्रसित होने की संभावना ज्यादा
रक्तदाताओं की सूची से ऐसे समूह के लोगों को बाहर करने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने शपथ पत्र दाखिल किया है. इसमें कहा कि सूची से बाहर रखने का निर्णय नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यूजन कौंसिल (एनबीटीसी, जिसमें डॉक्टर और वैज्ञानिक विशेषज्ञ शामिल हैं) ने किया है. यह पाया गया है कि ये समूह उच्च जोखिम वाले एचआईवी-एड्स से ग्रसित हो सकते हैं.