सोशल मीडिया में हमर बोरे बासी की मची धूम

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आह्वान पर आज छत्तीसगढ़ के सभी वर्ग के लोगों ने बोरे-बासी खाकर श्रम का उत्सव मनाया. इस बोरे-बासी तिहार पर लोगों ने बोरे-बासी खाते हुए तस्वीर और वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड किया. इस दौरान लोगों के उत्साह और सक्रिय सहभागिता के चलते हैशटैग #HamarBoreBaasi दूसरे नंबर पर ट्रेंड करता रहा.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस अवसर पर प्रदेश के मूर्धन्य साहित्यकार डॉ. खूबचंद बघेल की पंक्तियाँ सोशल मीडिया में शेयर करते हुए लिखा-
बासी के गुण कहुँ कहाँ तक, इसे न टालो हाँसी में.
गजब विटामिन भरे हुए हैं, छत्तीसगढ़ के बासी में..

इस अवसर पर प्रशासनिक अधिकारी, सुरक्षा बल, पुलिस के जवान छत्तीसगढ़ के कैबिनेट मंत्री, विधायकों ने भी बोरे-बासी के सेवन किया. इस मामले में छत्तीसगढ़ की जनता भी पीछे नहीं रही, उन्होंने भी अपनी संस्कृति पर गर्व करते हुए, श्रमिकों और किसानों के सम्मान में बोरे-बासी का सेवन किया.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ आज बोरे-बासी खाने वाले श्रमिकों ने बताया कि यह उनके जीवन का यादगार दिन है. प्रदेश के मुखिया ने श्रम और श्रमिकों को सम्मान देकर इस दिन को चिरस्मरणीय बना दिया है. बोरे बासी तिहार में शामिल होने आए श्रमिक तुलसीराम सिन्हा ने बताया कि बोरे-बासी जीवन का अभिन्न हिस्सा है और मजदूर के जीवन की कल्पना इसके बिना नहीं की जा सकती. उन्होंने कहा कि श्रमिक हितैषी मुख्यमंत्री ने इस दिन को खास बनाया और बोरे-बासी को वैश्विक पहचान दिलाई. बोरे-बासी अब केवल मजदूर का भोजन नहीं है बल्कि अब सभी वर्गों के लोग इसे बड़े चाव से खाते है. इसके पौष्टिक गुणों को दुनिया जानने लगी है.

इसी प्रकार श्रमिक संतोषी पाल ने भी प्रदेश के मुखिया के साथ बोरे-बासी का आनंद लिया. उन्होंने बताया कि मजदूरों के लिए बोरे-बासी सभी मामलों में बहुत किफायती होने के साथ ही अत्यंत पौष्टिक आहार है. रात को भिगाओ और यह सुबह तैयार मिलता है. मजदूर को सुबह जल्दी काम में जाना पड़ता है, ऐसे में बासी अच्छा विकल्प है,जो थोड़े ही प्रयास में बन जाता है. मजदूर के जेब पर भी यह भारी नहीं पड़ता है और इसे आचार, चटनी के साथ आसानी से खाया जा सकता है.

बोरे-बासी तिहार में पहुंचे श्रमिक परमेश्वर सिन्हा ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में प्रदेश की छत्तीसगढ़िया संस्कृति ने अपने वास्तविक गौरव को पाया है. श्रमिक दिवस के अवसर पर बोरे-बासी तिहार भी छत्तीसगढ़िया संस्कृति का प्रतीक है. उन्होंने कहा कि हम सभी मजदूर खुश हैं. बोरे-बासी का महत्व एक मजदूर सहज ही समझ सकता है. शरीर को ठंडा रखने के साथ-साथ पानी की कमी को दूर करता है और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर बहुत सकारात्मक है.