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देश में उमस भरी लू का खतरा 30 गुना तक बढ़ा

जलवायु परिवर्तन ने भारत, बांग्लादेश, लाओस और थाईलैंड में रिकॉर्ड तोड़ उमस भरी ताप लहर (लू) के खतरे को 30 गुना तक बढ़ा दिया है. वर्ल्ड वेदर एट्रीब्यूशन ग्रुप से जुड़े हुए प्रमुख जलवायु वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम द्वारा किए गए रैपिड एट्रीब्यूशन एनालिसिस में यह बात सामने आई है. इसके चलते गंभीर दुष्प्रभाव भी कई गुना बढ़ने लगे हैं.

बुधवार को जारी इस रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल में दक्षिणी और दक्षिण-पूर्वी एशियाई हिस्सों में प्रचंड लू महसूस की गई. इस दौरान लाओस में अधिकतम तापमान 42 डिग्री सेल्सियस और थाईलैंड में 45 डिग्री सेल्सियस के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गया. दुनिया में जलवायु परिवर्तन की वजह से हीटवेव की घटनाएं आम हो गई हैं. उनकी अवधि बढ़ गई है और वह ज्यादा गर्म हो गई हैं. एशियाई हीटवेव पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव की मात्रा का आकलन करने को वैज्ञानिकों ने मौसम संबंधी डाटा और कंप्यूटर मॉडल सिमुलेशन का विश्लेषण किया ताकि वर्तमान मौसम और 19वीं सदी के अंत से लेकर ग्लोबल वार्मिंग में 1.2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने तक की जलवायु की तुलना की जा सके.

दो क्षेत्रों में अप्रैल के दौरान विश्लेषण किया गया

दो क्षेत्रों में अप्रैल में चार दिन हीट इंडेक्स के अधिकतम तापमान और मूल्य के औसत का विश्लेषण किया गया. इन क्षेत्रों में से एक दक्षिणी-पूर्वी भारत और बांग्लादेश का है और दूसरा थाईलैंड और लाओस है. हीट इंडेक्स ऐसा पैमाना है जिसमें तापमान और नमी को एक साथ जोड़ा जाता है.

वैश्विक तापमान में वृद्धि जारी रहेगी

शोधकर्ताओं ने पाया कि दोनों ही क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन की वजह से नमी भरी लू की आशंका कम से कम 30 गुना ज्यादा हो गई है. तापमान में भी कम से कम 2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है. जब तक ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन नहीं रुकेगा तब तक वैश्विक तापमान में वृद्धि जारी रहेगी.

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