
नई दिल्ली . अडानी समूह को सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त की गई जांच समिति ने हिंडनबर्ग केस में क्लीन चिट दी है. सार्वजनिक हुई रिपोर्ट में समिति ने कहा है कि अडानी ग्रुप द्वारा पहली नजर में किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं किया गया है और बाजार नियामक सेबी ने भी समूह की ओर से दी गई जानकारी को गलत नहीं बताया है.
समिति ने रिपोर्ट में कहा कि शेयरों की कीमत बढ़ने में कानूनों का उल्लंघन नहीं हुआ है. सेबी को कीमतों में बदलाव की पूरी जानकारी थी उससे कोई जानकारी नहीं छिपाई गई. समूह ने शयरों की कीमतों को भी प्रभावित नहीं किया, न ही उसमें गैरकानूनी निवेश के सबूत मिले हैं. कमेटी ने कहा है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद अडानी के शेयरों में रिटेल हिस्सेदारी बढ़ी है. समिति ने कहा है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद शॉर्ट पोजीशन (भाव गिरने पर मुनाफा कमाना) से मुनाफ कमाया, इसकी जाचं हो रही है. समिति ने कहा कि यह जांच अभी चल रही है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च को पूर्व जज जस्टिस एएम सप्रे की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था. इसमें ओपी भट, जेपी देवधर, केवी कामथ, नंदन नीलकेणी तथा वकील सोमाशेखरन सुंदरसन शामिल थे. कोर्ट ने समिति का गठन तब किया जब अमेरिका की शार्टसेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया था कि अडानी समूह ने कथित धोखाधड़ी तथा स्टॉक मार्केट तिकड़मों तथा ऑफशोर एंटीटी से धोखाधड़ी की है.
14 अगस्त तक की मोहलत
सेबी अडानी समूह के खिलाफ आरोपों की जांच कर रहा था और उसके समानांतर शीर्ष अदालत ने समिति की नियुक्ति की थी. हिंडनबर्ग के आरोपों के बाद अडानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट आई थी. हालांकि समूह ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया है. न्यायालय ने अडानी समूह के खिलाफ आरोपों की जांच पूरी करने के लिए सेबी को 14 अगस्त तक का समय दिया.
खुदरा निवेशकों का जोखिम बढ़ा
प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग की मदद से जांच करने के बावजूद सेबी इन 13 संस्थाओं के अंतिम स्वामित्व का निर्धारण नहीं कर सकी है. समिति ने कहा कि बाजार ने अडानी के शेयरों का पुनर्मूल्यांकन किया है. समिति ने कहा कि आंकड़ों के अनुसार 24 जनवरी, 2023 के बाद अडानी के शेयरों में खुदरा निवेशकों का जोखिम बढ़ गया है.