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भारतीय रेलवे की सिग्नल प्रणाली पूरी तरह सुरक्षित बनेगी

ओडिशा के बालासोर में हुए भीषण ट्रेन हादसे के बाद रेलवे बोर्ड ने भारतीय रेलवे की समूची सिग्नल प्रणाली में बदलाव करने का फैसला किया है. इसके तहत सिग्नल प्रणाली को फुलप्रूफ बनाने के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा. इस काम के लिए रेलवे बोर्ड ने विशेषज्ञ टीम का गठन कर दिया है, इसमें भारतीय रेल सहित निजी क्षेत्र के एक हजार विशेषज्ञों को शामिल किया गया है.

रेल संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) ने बालासोर ट्रेन हादसे के लिए प्रमुख रूप से सिग्नल प्रणाली में कई स्तर की त्रुटियों को जिम्मेदार माना है. इसमें इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग (ईआई) की रिले ठीक प्रकार से काम नहीं कर रही थीं. ट्रेन को सीधे जाने के लिए मेन लाइन का कांटा सेट (प्वांइट सेट) नहीं हुआ इसके बावजूद सिग्नल हरा हो गया. जिससे ट्रेन हादसा होने के कारण 293 यात्रियों की मौत हो गई और एक हजार से अधिक घायल हो गए. सुझाव में कहा, सिग्नल प्रणाली में किसी प्रकार की मरम्मत या बदलाव करने के बाद दूसरी टीम से इसका सत्यापन करना चाहिए. इसके बाद ही ट्रेन परिचालन शुरू किया जाना चाहिए.

दुर्घटनाएं रुकेंगी

तकनीकी रेल अधिकारियों सहित निजी क्षेत्र के आईटी और टेलीकॉम विशेषज्ञों की टीम का गठन किया गया है. वे इंटरलॉकिंग प्रणाली में रिले पर निर्भरता को कम करने के लिए काम करेंगे. इसके स्थान पर सॉलिड स्टेट इंटरलॉकिंग तकनीक पर काम किया जाएगा. यह सेमी कंडक्टर आधारित सिग्नल प्रणाली होती है. इसमें एक चिप के जरिये सिग्नल सिस्टम संचालित किया जाता है. सिग्नल वायरिंग को ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी) के जरिये बिछाया जाता है. रेलवे सिग्नल प्रणाली फेल होने से दुर्घटनाओं को शून्य स्तर पर लाने की दिशा में काम कर रही है.

 

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