
पछले करीब एक महीने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में तेजी के बाद घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीजल महंगा होने की आशंका जताई जा रही है.
इन अटकलों पर विराम लगाते हुए शुक्रवार को पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने की उम्मीद नहीं है.
त्योहारी सीजन से पहले आए उनके इस बयान को बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था अगर बेहतर कर रही है तो इसका अंदाजा रियल एस्टेट सेक्टर की वृद्धि से लगाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि कच्चे तेल की कीमत बढ़ना ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के लिए पेट्रोल और डीजल दोनों पर अंडर रिकवरी है. उन्होंने तेल उत्पादक देशों से उत्पादन बढ़ाने की अपील की है.
गौरतलब है कि कच्चे तेल की कीमतों में जून से लेकर अब तक करीब 30 फीसदी तेजी आ चुकी है. पिछले एक महीने में कच्चे तेल की कीमत में 14 फीसदी का उछाल आ चुका है.
शुक्रवार को ही डब्ल्यूटीआई क्रूड 92 डॉलर प्रति बैरल और ब्रेंट क्रूड 95 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गया. कच्चे तेल ने पिछले 13 महीने के रिकॉर्ड को तोड़ा है. पिछले तीन महीने (जुलाई से सितंबर के दौरान) क्रूड की कीमत में 30 प्रतिशत का उछाल देखा गया है. कीमत में यह तेजी सऊदी अरब और रूस की तरफ से कच्चे तेल के उत्पादन और आपूर्ति में कटौती किए जाने के बाद आई है.
संकट में कंपनियां
माना जा रहा है कच्चा तेल 100 डॉलर प्रति बैरल के पार गया तो सरकारी तेल कंपनियों के लिए लंबे समय तक पेट्रोल डीजल की कीमतों को यथावत रखना बेहद मुश्किल हो जाएगा. विधानसभा चुनावों के मद्देनजर तेल कंपनियां के लिए फिलहाल पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ाना नामुमकिन है. ऐेसे में इन कंपनियों का नुकसान बढ़ना तय है.
यूरोप में ऊर्जा संकट घटा, खाद्य महंगाई बढ़ी
सितंबर में यूरोप की मुद्रास्फीति में गिरावट आई है लोगों को महंगाई से थोड़ी राहत मिली है. वहीं अगस्त में महंगाई दर 5.2 थी जो अब घटकर 4.3 फीसदी हो गई है. एक तरफ ऊर्जा की महंगाई घटकर 4.7 पर कम हुई तो खाद्य महंगाई तेज होकर 8.8 पर पहुंच गई. कच्चे तेल के दाम में बढ़ोतरी से तेज महंगाई का संकट पैदा हो सकता है. जानकारों का मानना है कि यूरोप की महंगाई का असर भारत के निर्यात प्रधान उद्योगों पर पड़ेगा क्योंकि ऊंची महंगाई दर से लोग खपत में कटौती करने के लिए मजबूर हो जाते हैं.
आरबीआई पर दरें बढ़ाने का दबाव बढ़ेगा
जानकारों का कहना है कच्चे तेल के दाम बढ़ने से महंगाई को नियंत्रित रखने के लिए आरबीआई के प्रयासों पर पानी फिरता नजर आ रहा है. पहले उम्मीद जगी थी कि अक्तूबर में ब्याज दरें घट सकती हैं फिर तेजी से बढ़ती खाद्य महंगाई ने इस उम्मीद को अगले साल तक खिसका दिया लेकिन अब कच्चे तेल में आ रहे उफान से सस्ती ब्याज दरों की उम्मीदें धुंधली होती नजर आ रही हैं.