
नई दिल्ली . केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय से कहा है कि निजी टेलीविजन चैनल की सामग्री के नियमन के लिए कोई वैधानिक शून्यता नहीं है, बल्कि एक मजबूत तंत्र मौजूद है.
शीर्ष अदालत के समक्ष दाखिल एक हलफनामे में सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने कहा कि भारत ने हमेशा पत्रकारिता की स्वतंत्रता की रक्षा की है और पत्रकारिता के क्षेत्र में आत्म-संयम एवं आत्म-नियमन को बढ़ावा देने की नीति को प्रोत्साहित किया है. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मीडिया संस्थान और पत्रकार समाज के प्रति अपनी महत्वपूर्ण भूमिका और जिम्मेदारियों को स्वीकार करें और स्वयं-विकसित तरीकों के माध्यम से अपने कामकाज के मानकों को ऊंचा उठाएं.
हमारी कोशिश न्यूनतम सरकारी हस्तक्षेप हो हलफनामे में कहा गया कि यह सुनिश्चित करता है कि मीडिया के कामकाज में सरकारी अधिकारियों द्वारा न्यूनतम हस्तक्षेप हो और केवल राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में ही सरकार का वैधानिक तंत्र काम करता है. जहां तक गैर-जिम्मेदाराना रिपोर्टिंग के प्रसारण के नियमन और दर्शकों के लिए शिकायत निवारण तंत्र का सवाल है, इसमें कोई वैधानिक शून्यता नहीं है. हलफनामे में कहा गया, इस प्रकार, केंद्र सरकार ने शुरुआत से ही जानबूझकर खुद पर आत्म-संयम लगाया है और मीडिया संस्थानों और पत्रकारों द्वारा स्व-नियमन के तंत्र को बढ़ावा देने के लिए संयम की व्यवस्था अपनाई है.