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गहलोत- पायलट के विवाद में उलझी कांग्रेस

नई दिल्ली . राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की रार में कांग्रेस उलझ गई है. प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा के सख्त तेवरों के बीच पार्टी इस मुद्दे पर पायलट का रुख जानना चाहती है. पायलट के रुख पर पार्टी की कार्रवाई निर्भर करेगी.

पार्टी का कहना है कि पायलट ने केंद्रीय नेतृत्व के इनकार के बावजूद अपनी मांग को लेकर अनशन किया है. इसलिए, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. प्रदेश प्रभारी रंधावा पिछले चौबीस घंटे में दो बार सार्वजनिक तौर पर कार्रवाई करने की बात कह चुके हैं. पायलट के खिलाफ क्या रुख अपनाया जाए, इसको लेकर गुरुवार को मुलाकात और बैठकों का दौर चला. इस बीच, पार्टी के वरिष्ठ नेता कमलनाथ और भूपेंद्र सिंह हुड्डा सहित कई नेता सचिन पायलट के संपर्क में हैं. झगड़ा खत्म करने को पार्टी बीच का रास्ता तलाश रही है.

राजस्थान घटनाक्रम पर चर्चा के लिए प्रदेश प्रभारी रंधावा पार्टी महासचिव और संगठन प्रभारी केसी वेणुगोपाल के घर पहुंचे. करीब आधे घंटे की मुलाकात के बाद दोनों नेता पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मिले. इसके बाद पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ बैठक की. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि केंद्रीय नेतृत्व कोई भी फैसला करने से पहले पायलट का रुख जानना चाहता है. इसलिए, संगठन प्रभारी केसी वेणुगोपाल भी पायलट से मुलाकात कर सकते हैं.

पायलट दिल्ली में हैं. उनके रुख के बाद फैसला किया जाएगा. हालांकि, पायलट समर्थकों का कहना है कि वे कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल और प्रियंका गांधी के अलावा किसी से बात करना नहीं चाहते हैं.

सभी को साथ लेकर चलने के प्रयास में पार्टी

राजस्थान चुनाव में ज्यादा वक्त नहीं है. ऐसे में पार्टी नेतृत्व सभी को साथ लेकर चलने का प्रयास कर रहा है. पर इसके लिए पायलट का भी साथ रहने के लिए तैयार होना जरूरी है. बातचीत की प्रक्रिया में पायलट को अपना रुख नरम करने के लिए भी मनाया जा रहा है. पार्टी यह आकलन भी कर रही है कि पायलट के जाने या नहीं जाने से क्या फायदा और नुकसान हो सकता है. पार्टी का बड़ा तबका मानता है कि पायलट के कांग्रेस छोड़ने से चुनाव में नुकसान होगा.

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