
नई दिल्ली. देश को ग्रीन हाइड्रोजन का हब बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए केंद्रीय कैबिनेट ने 19,744 करोड़ रुपए के नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दे दी. देश में कम लागत वाली ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन पर इंसेटिव दिया जाएगा. इंसेटिव देने पर 17,490 करोड़ रुपए खर्च होंगे. पीएम के नेतृत्व में कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि जलवायु परिवर्तन को लेकर भारत की ओर से समय-समय पर उठाए गए कदमों की दुनिया में तारीफ हुई है.
देश में ग्रीन हाइड्रोजन को बढ़ावा देने का हरसंभव प्रयास किया जाएगा. वर्ष 2047 तक ऊर्जा को लेकर आत्मनिर्भर बनने का लक्ष्य रखा गया है. अलग-अलग सेक्टर में ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग बढ़ाने के लिए मिशन डायरेक्टर के तौर पर ऐसे व्यक्ति को लिया जाएगा, जो इसकी गहन जानकारी रखता हो. उन्होंने कहा कि भारत ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन में ग्लोबल हब के रूप में उभर सकेगा. वर्ष 2030 तक ग्रीन हाइड्रोजन मिशन में आठ लाख करोड़ रुपए का प्रत्यक्ष निवेश होगा. इससे करीब छह लाख लोगों को नौकरियां मिलेंगी. केंद्रीय कैबिनेट ने हिमाचल प्रदेश में 382 मेगावाट के सुन्नी हाइड्रोजन इलेक्ट्रिक डैम को मंजूरी दे दी है. यह पांच साल में पूरा होगा.
हाइड्रोजन की मांग हो जाएगी दोगुनी
भारत में 2029-30 तक हाइड्रोजन की मांग 1.17 करोड़ टन तक पहुंचने की संभावना है. अभी इसकी मांग 67 लाख टन है. इसमें से 36 लाख टन (54%) का इस्तेमाल पेट्रोलियम रिफाइनिंग में जबकि बाकी का फर्टिलाइजर उत्पादन में होता है. हालंकि यह ग्रे हाइड्रोजन है, जो नैचुरल गैस या नेप्था से बनाई जाती है. इससे काफी प्रदूषण फैलता है.
ग्रीन हाइड्रोजन क्या है
ग्रीन हाइड्रोजन स्वच्छ ऊर्जा है, जो सोलर पावर का इस्तेमाल कर पानी को हाइड्रोजन व ऑक्सीजन में बांटने से पैदा होती है. इससे प्रदूषण नहीं होता, इसीलिए इसे ग्रीन हाइड्रोजन कहते हैं.