
चलते-फिरते फाइव स्टार होटल जैसी सुविधा वाला क्रूज ‘गंगा विलास’ मंगलवार सुबह राजघाट से रामनगर पहुंचा. यह सोमवार को पड़ोसी जिले चंदौली से आगे बढ़ता हुआ काशी की सीमा में राजघाट के पहले रोक दिया गया था. खराब मौसम के कारण वह आगे नहीं बढ़ सका था.
मंगलवार सुबह पिछले दिनों की अपेक्षा मौसम साफ होने पर यह आगे बढ़ा और ईंधन भरने के लिए सीधे रामनगर के मल्टी मॉडल टर्मिनल पर पहुंचा. गंगा विलास की गंगा तटीय यात्रा नमो घाट से शुरू हुई. प्रमुख घाटों से होता हुआ वह आगे बढ़ा. इस दौरान हर घाट पर मौजूद लोग उत्सुक निगाहों से उसे निहारते रहे.
दुनिया की सबसे लंबी जल यात्रा शुरू करने जा रहे इस अत्याधुनिक क्रूज में कई दिलचस्प खासियत हैं. इसमें सोने-बैठने के लिए खास कन्वर्टेबल बेड, कुर्सियां व टेबल हैं. मनोरम दृश्यों को निहारने के लिए फ्रेंच बॉलकनी व अवलोकन मंडप भी हर किसी को आकर्षित करती हैं. स्विस पर्यटकों को निरोग रहने का गुर सिखाने के लिए योग कक्ष और शारीरिक सौष्ठव बढ़ाने के लिए जिम भी है. ऊपरी तल पर बने स्वीमिंग पूल के किनारे आराम कुर्सियां लगी हैं.
मनोरंजन के हर साधन
गंगा विलास क्रूज में दैनिक जीवनचर्या से संबंधित सुविधाओं के साथ ही मनोरंजन के सभी साधन मौजूद हैं. क्रूज के 18 सुईट पांच सितारा होटलों के कमरों की तर्ज पर तैयार किए गए हैं. तीन मंजिले जलयान के बेसमेंट में किचन है. इससे ऊपर डायनिंग रूम कम रेस्टोरेंट बना है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 जनवरी को एमवी गंगा विलास क्रूज को डिब्रूगढ़ के लिए रवाना करेंगे. इस क्रूज से डिब्रूगढ़ जाने वाले 33 स्विस पर्यटकों का जत्था 10 जनवरी को सुबह पौने बारह बजे बाबतपुर एयरपोर्ट पहुंच जाएगा. यहां पर्यटकों का स्वागत शहनाई की धुन से होगा. बाबतपुर से लग्जरी वाहन से इन्हें रामनगर स्थित पोर्ट पर ले जाया जाएगा.
रामनगर में क्रूज पर सवार होने के बाद शाम को पर्यटक रामनगर किले का भ्रमण करेंगे. इसके बाद नौका विहार करते हुए गंगा आरती देखेंगे. आरती देखने के बाद वापस क्रूज पर आएंगे. अगले दिन 11 जनवरी को चुनार किले का भ्रमण करने जाएंगे. यहां से मिर्जापुर स्थित घंटाघर जाएंगे. 12 जनवरी को इन पर्यटकों के लिए रविदास घाट पर सांस्कृतिक आयोजन होंगे. क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी कीर्तिमान श्रीवास्तव के मुताबिक पर्यटकों के ग्रुप में 32 पर्यटक और एक जर्मन गाइड शामिल हैं.