कूनो में प्रोजेक्ट सफल रहा तो चार दूसरे राज्यों में दौड़ते दिखेंगे चीते

मध्यप्रदेश के कूनो में चीता प्रोजेक्ट सफल हो जाता है तो राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के अभयारण्यों में चीतों को दौड़ते देखा जा सकेगा. वन-पर्यावरण मंत्रालय चीता प्रोजेक्ट के लिए भविष्य की योजनाओं पर काम कर रहा है.
केंद्र सरकार चीतों को देश में फिर से बसाने के लिए कोशिशों में जुटी है. चीतों के पुनर्वास के लिए कूनो समेत 6 जंगलों को चिन्हित किया गया था. कूनो में 20 चीते लाए जा चुके हैं. वहां चल रहे चीता प्रोजेक्ट की शत-प्रतिशत सफलता के बाद अन्य राज्यों के जंगलों को चीतों से आबाद किया जाएगा. नामीबिया से 8 और दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा जा चुका है. नामीबिया से आए चीते अब खुले जंगल में प्राकृतिक माहौल में रह रहे हैं. इन्होंने शिकार करना शुरू कर दिया है. हालांकि वन अधिकारियों को इनके प्रजनन का इंतजार है. यदि प्रजनन के बाद इनकी संख्या में सफलतापूर्वक बढ़ोतरी होती है तो प्रोजेक्ट शत-प्रतिशत सफल माना जाएगा. अब तक के हालात को देखकर अधिकारी प्रोजेक्ट की सफलता के प्रति आशान्वित हैं. हाल ही दक्षिण अफ्रीका से आए 12 चीतों को एनक्लोजर में अलग रखा गया है.
मध्यप्रदेश राजस्थान पुनर्वास के लिए 6 जंगलों को किया गया चिन्हित महत्त्वाकांक्षी प्रोजेक्ट
कूनो के अलावा राजस्थान के मुकुंदरा टाइगर रिजर्व, भैंसरोडगढ़ वन अभयारण्य, शेरगढ़ अभयारण्य तथा मध्यप्रदेश के गांधी सागर वन अभयारण्य, माधव नेशनल पार्क भी चीतों के पुनर्वास के लिए चिन्हित हैं. कूनो में प्रोजेक्ट सफल होने पर मंत्रालय राजस्थान के जैसलमेर, मध्यप्रदेश के नौरदेही, गुजरात के कच्छ के साथ आंध्रप्रदेश और कर्नाटक के कुछ इलाकों में चीतों के शिफ्ट करने की योजना बना सकता है.
प्रोजेक्ट चीता केंद्र सरकार का महत्त्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है. पिछले साल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद कूनो में चीतों को छोड़ने गए थे. वन और पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव इस प्रोजेक्ट की मॉनीटरिंग कर रहे हैं.
अब तक का सफर
1952 के 70 साल बाद 20 चीते दूसरे देशों से भारत पहुंचे.
08 चीते नामीबिया से आए, जिन्हें खुले जंगल में छोड़ा जा चुका है.
12 चीते दक्षिण अफ्रीका से आए, जिन्हें एनक्लोजर में रखा गया है.
12 चीते हर साल देने को तैयार है दक्षिण अफ्रीका.
2021-22 से 2025-26 तक के लिए 38.70 करोड़ रुपए का बजट मंजूर.
चीतों के पुनर्वास से क्या फायदा
विशेषज्ञों का कहना है कि चीतों के विलुप्त होने से भारतीय ग्रासलैंड की इकोलॉजी खराब हुई है. इसे ठीक करना जरूरी है. चीतों की वापसी से इकोलॉजी ठीक होने के साथ भारत में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. इससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा.
कूनो इसलिए सबसे बेहतर
चीतों के रहने के हिसाब से कूनो को सबसे बेहतर इसलिए माना गया, क्योंकि यहां जंगल बड़े और इंसानों की आबादी कम है. यहां कई ऐसे जानवर हैं, जिनका चीते शिकार कर सकते हैं. इनमें चीतल, सांभर, नीलगाय, चौसिंघा, ब्लैक बक आदि शामिल हैं.