
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को फिजी के नाडी में 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन का उद्घाटन किया. उन्होंने कहा कि वह युग पीछे छूट गया है जब हमने प्रगति और आधुनिकता की तुलना पश्चिमीकरण से की थी. कई ऐसी भाषाएं और परंपराएं जो औपनिवेशिक युग के दौरान दब गई थीं, आज फिर से वैश्विक मंच पर अपनी आवाज उठा रही हैं.
नाडी में 12वें वश्वि हिंदी सम्मेलन के दौरान फिजी के राष्ट्रपति रातू वल्यिम मैवलीली काटोनिवेरे भी इस कार्यक्रम में मौजूद थे. डॉ. जयशंकर मंगलवार को फिजी के नाडी में तीन दिवसीय यात्रा पर पहुंचे. सम्मेलन में विदेश मंत्री जयशंकर ने राष्ट्रपति रातू के साथ एक डाक टिकट जारी किया और छह हिंदी भाषी पुस्तकों का विमोचन किया.
विदेश मंत्री ने कहा, विश्व हिंदी सम्मेलन जैसे आयोजनों में यह स्वाभाविक है कि हमारा ध्यान हिंदी भाषा के विभन्नि पहलुओं, उसके वैश्विक उपयोग और इसके प्रसार पर होना चाहिए. हम फिजी, प्रशांत क्षेत्र और गिरमिटिया देशों में हिंदी की स्थिति जैसे मुद्दों पर चर्चा करें. उन्होंने कहा कि फिजी में हिंदी सम्मेलन का आयोजन आधिकारिक भाषाओं में से एक है. इस तरह का सम्मेलन, जो हिंदी भाषा पर प्रकाश डालता है, एक मजबूत संदेश देता है.
श्री शिव सुब्रह्मण्य स्वामी मंदिर में दर्शन किए नाडी में जयशंकर का पारंपरिक सेवुसेवु से स्वागत किया गया. विदेश मंत्री ने कहा कि वह परंपरागत स्वागत से बेहद सम्मानित महसूस कर रहे हैं. विदेश मंत्री ने ट्वीट में कहा, नाडी में श्री शिव सुब्रह्मण्य स्वामी मंदिर में दर्शन किए. अपने संसदीय सहयोगियों के साथ फिजी में हमारी समृद्ध जीवंत संस्कृति और परंपराओं को प्रत्यक्ष रूप से देखा.
यह मंच भारत के साथ फिजी के ऐतिहासिक और विशेष संबंधों की स्थायी ताकत का जश्न मनाने का एक अनूठा अवसर प्रस्तुत करता है.
-रातू वल्यिम मैवलीली काटोनिवेरे, राष्ट्रपति,फिजी
12वें विश्व हिंदी सम्मेलन के उद्घाटन के लिए आप सभी के साथ शामिल होना बहुत खुशी की बात है. यह हमारे संबंधों को बढ़ावा देने का एक अवसर है.
-जयशंकर, विदेश मंत्री, भारत