
आबकारी नीति में कथित अनियमितता से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में विशेष अदालत ने दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जमानत देने से इनकार कर दिया. जमानत याचिका खारिज करते हुए अदालत ने पहली नजर में सिसोदिया को कथित घोटाले की साजिश का सूत्रधार (आर्किटेक्ट) बताया.
राउज एवेन्यू स्थित विशेष न्यायाधीश एम के नागपाल ने 34 पन्नों के फैसले में कहा है कि सभी तथ्यों को देखने से पता चलता है कि मामले की अभी जांच चल रही है. तथ्यों और परिस्थितियों की समग्रता को ध्यान में रखते हुए जांच के मौजदा चरण में सिसोदिया को जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता है. न्यायाधीश ने कहा है कि यदि सिसोदिया को जमानत पर रिहा किया जाता है तो मामले की जांच पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के साथ ही इसकी प्रगति को गंभीर रूप से बाधित कर सकता है. यह टिप्पणी करते हुए अदालत ने सिसोदिया की जमानत याचिका को खारिज कर दिया.
जमानत पर पांच अप्रैल को सुनवाई आबकारी नीति से जुड़े धन शोधन मामले में भी सिसोदिया आरोपी हैं. उनकी जमानत पर पांच को सुनवाई होगी.
आपराधिक साजिश में महत्वपूर्ण भूमिका अदालत
विशेष न्यायाधीश ने कहा है कि मामले में अब तक जांच से जो तथ्य सामने आए हैं, इससे पता चलता है कि पूर्व मुख्यमंत्री सिसोदिया इस घोटाले के आपराधिक साजिश में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उन्होंने कहा कि साजिश को अंजाम देने के लिए सिसोदिया आबकारी नीति बनाने और उसके कार्यान्वयन में काफी सक्रिय रूप से शामिल थे.