मिलेट कार्निवाल: मिलेट्स शामिल किए जाएं मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम में , 7 राज्यों के स्टार्टअप द्वारा लगाए गए मिलेट के स्टॉल

राजधानी रायपुर के मिलेट कार्निवाल में छत्तीसगढ़ के साथ-साथ देश के 7 राज्यों के स्टार्टअप द्वारा मिलेट उत्पादों की बिक्री सह प्रदर्शनी लगाई गई है. स्टार्टअप द्वारा लगाई गई इस प्रदर्शनी में मिलेट से तैयार केक, कुकीस, सूप, लड्डू सहित विभिन्न उत्पाद रखें गए हैं. इन उत्पादों के संबंध में आम लोगों द्वार उत्साह से जानकारी ली जा रही है. कार्निवाल प्रतिदिन आम लोगों के लिए दोपहर 12 बजे से रात्रि 10 बजे तक खुला रहेगा.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि मिलेट्स को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों में बच्चों के लिए संचालित मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम में मिलेट्स को शामिल किया जाना चाहिए. इससे देशभर के बच्चों को जहां भरपूर पोषक तत्व मिलेंगे वहीं मिलेट्स का उत्पादन करने वाले किसानों के लिए मिलेट्स उत्पादों के बाजार की समस्या नहीं रहेगी और किसानों को फायदा भी होगा. मुख्यमंत्री श्री बघेल ने आज राजधानी रायपुर के सुभाष स्टेडियम में आयोजित तीन दिवसीय ‘छत्तीसगढ़ मिलेट कार्निवल’ का शुभारंभ करते हुए इस आशय के विचार प्रकट किए.

मिलेट्स के उत्पादन को बढ़ावा देने और इनसे मिलने वाले पोषक तत्वों के बारे में जन जागरूकता के लिए वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया गया है. छत्तीसगढ़ पहले ही मिलेट्स के उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन के मामले में काफी आगे है और धीरे धीरे मिलेट्स हब के रूप में उभर रहा है. आज जब मिलेट्स फसलों का रकबा जब पूरी दुनिया में सिमट रहा है, तब हमारे राज्य में इसका रकबा बढ़ रहा है. राज्य सरकार से मिलेट्स उत्पादक किसानों को मिले प्रोत्साहन से प्रदेश में मिलेट्स फसलों के रकबा में लगभग 3 गुना वृद्धि हुई है, पहले 70 हजार हेक्टेयर रकबा में मिलेट्स की खेती होती थी, अब यह रकबा बढ़कर 1 लाख 65 हजार हेक्टेयर हो गया है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि मिलेट्स प्रसंस्करण के मामले में भी छत्तीसगढ़ बहुत आगे निकल गया है. मिलेट्स प्रसंस्करण का देश का सबसे बड़ा प्लांट छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के नथिया नवागांव में बनाया गया है, जिसमें 22 प्रकार के उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं. मिलेट्स के उत्पादन, महिला स्व-सहायता समूहों और वनधन समितियों के माध्यम से संग्रहण और प्रसंस्करण के जरिए हजारों महिलाओं को रोजगार मिला. मिलेट्स की खेती के प्रति किसानों का आकर्षण बढ़ा, उनकी आय में भी वृद्धि हुई.

मुख्यमंत्री ने कहा कि पोषक गुणों के कारण आज मिलेट्स की डिमांड देश-विदेश में बढ़ गई है. उन्होंने कहा कि कोदो, कुटकी और रागी छत्तीसगढ़ में यह हमेशा से बोया जाता रहा है. यह फसल ग्रामीण क्षेत्रो में उन जमीनों पर लगाई जाती थी, जहां सिचाई नहीं के बराबर होती थी. पहले छत्तीसगढ़ के बड़े किसान भी कोदो को संग्रहित करके रखते थे, क्योंकि सूखे के समय यही पेट भरने के काम आता था. कोदो के बीज 12 वर्ष तक सुरक्षित रहते हैं. इसकी फसल में बीमारी नहीं लगती इस कारण इसमें पेस्टिसाइड का उपयोग नहीं होता. आज फसलों में उपयोग किए जाने वाले पेस्टिसाइड भी लाईफ स्टाईल के साथ बीपी, शुगर, कैंसर जैसे रोगों की वजह है. मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि पानी पड़ने के बाद कोदो का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए, इससे फूड पाईजनिंग का खतरा रहता है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि मिलेट्स विशेष रूप से कोदो को मेहनतकश लोगों का भोजन समझा जाता था, कोदो मिनरल्स और पोषक तत्वों से भरपूर है, शुगर इसमें कम से कम है. आज कोदो अमीरों का भोजन बन गया है. क्योंकि डायबिटिज सबसे ज्यादा इस वर्ग के लोगों में है. उन्होंने कोदो, कुटकी और रागी, लघु वनोपजों की खरीदी और प्रसंस्करण के कार्य में वन विभाग द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की. मुख्यमंत्री ने कहा कि मिलेट्स के गुणों को देखते हुए इसे भोजन की थाली में शामिल किया जाना चाहिए.
वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि मिलेट्स के गुणों को देखते हुए ‘सेहत के मोती, कोदो-कुटकी-रागी’ के स्लोगन के साथ छत्तीसगढ़ मिलेट कार्निवल का आयोजन राजधानी रायपुर में किया जा रहा है. इस कार्निवाल के माध्यम से हमें मिलेट्स की खूबियों के बारे में जानने को मिलेगा. कोदो, कुटकी और रागी सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर 10 जनवरी 2022 को छत्तीसगढ़ मिलेट्स मिशन शुरू किया गया. राज्य सरकार द्वारा मिलेट्स को प्रोत्साहन देने का अभियान छत्तीसगढ़ में सफल रहा, इससे मिलेट्स की बाजार में मांग बढ़ गई है. यह प्रशंसनीय है.

भारत सरकार के प्रतिनिधि ने की छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन की सराहना
शुभारंभ समारोह में भारत सरकार के मिलेट्स रिसर्च इंस्टीट्यूट, न्यूट्रीहब के सीईओ डॉ. बी. दयाकर रॉव ने छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन की सराहना करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में मिलेट मिशन का कार्य काफी अच्छा है. अब तक मिलेट्स के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ में जितने कार्य हुए उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि छत्तीसगढ़ में मिलेट मिशन का भविष्य उज्ज्वल है.
महिला स्व-सहायता समूहों को वितरित किए गए लैपटॉप
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कार्यक्रम में नारायणपुर में फूल झाडू और वनौषधियों का उत्पादन करने वाले चरख महिला स्व-सहायता समूह की सरिता निषाद और कटघोरा के हरबोल स्व-सहायता समूह की सरोज पटेल को प्रतीक स्वरूप लैपटॉप वितरित किए. आज के कार्यक्रम में 12 समूहों को क्रॉप स्टेज के सहयोग से लैपटॉप वितरित किए गए. मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा प्रकाशित कॉफी टेबल बुक का विमोचन भी किया.

कार्निवाल में 7 राज्यों ने की शिरकत
प्रमुख सचिव वन मनोज कुमार पिंगुआ ने अपने सम्बोधन में बताया कि कार्निवाल का आयोजन छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ तथा आईआईएमआर हैदराबाद के संयुक्त तत्वाधान में किया गया. उन्होंने बताया कि कार्निवाल 49 स्टॉल लगाए गए हैं, जिनमें से 25 छत्तीसगढ़ के तथा 24 अन्य राज्यों के हैं. इस कार्निवाल में 7 राज्यों के प्रतिनिधियों ने शिरकत की है. इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने बताया कि कृषि विश्वविद्यालय द्वारा कोदो, कुटकी और रागी की 9 प्रजातियां विकसित की गई है. विश्व विद्यालय के पास 300 क्विंटल बीज उपलब्ध हैं. उन्होंने बताया कि 6 स्थानों पर मिलेट्स कैफे प्रारंभ करने की योजना है. कार्यक्रम को प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख संजय शुक्ला ने कहा कि मिलेट्स सुपर फूड हैं, इसमें फायबर, प्रोटीन, मिनरल्स के साथ ग्लूटेन फ्री है, इसका ग्लाइसेमिक इनडेक्स बहुत कम है. राज्य सरकार द्वारा दिए गए प्रोत्साहन से छत्तीसगढ़ में मिलेट्स का मूल्य काफी बढ़ गया है. अन्य राज्यों के लोग छत्तीसगढ़ से मिलेट्स की खरीदी कर रहे हैं. एन.टी.बी.एन. के सदस्य डॉ. राज भंडारी, आईसीएआर-आईआईएमआर की संचालक डॉ. तारा सत्यवथी, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. जे. स्टेनली ने भी सम्बोधित किया. कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल के अध्यक्ष कुलदीप जुनेजा, रायपुर महापौर एजाज ढेबर, कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह भी उपस्थित थे.