
कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के एक सप्ताह बाद शनिवार को मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के शपथ ग्रहण में विपक्ष का शक्ति प्रदर्शन देखने को मिला. मंच पर 18 विपक्षी दल के नेताओं ने एक-दूसरे का हाथ पकड़कर एकजुटता का संदेश दिया. ऐसा दृश्य पांच वर्ष पहले एचडी कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में दिखा था.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे शपथ ग्रहण समारोह में देश के प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं को आमंत्रित करने के लिए खुद कमान संभाल रखी थी. खरगे ने खुद तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और एनसीपी प्रमुख शरद पवार को न सिर्फ आमंत्रण भेजा, बल्कि उनसे फोन पर बात भी की. खरगे ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार, डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव , झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे से भी बात की. इसके अलावा वाम दल समेत कई अन्य दलों के नेताओं को आमंत्रित किया. हालांकि समारोह में बसपा प्रमुख मायावती, आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल और बीजद के नवीन पटनायक अनुपस्थिति की भी चर्चा होती रही. वहीं बीआरएस के के.चंद्रशेखर राव और वाईएसआर के जगन मोहन रेड्डी और केरल के मुख्यमंत्री की गैरमौजूदगी से विपक्षी एकता पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं.
कांग्रेस नेता सिद्धरमैया दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने हैं. उनके साथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली. जिन लोगों को मंत्री बनाया गया उनमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के पुत्र प्रियंक खड़गे, पार्टी की प्रदेश इकाई के पूर्व अध्यक्ष जी. परमेश्वर भी शामिल हैं. कार्यक्रम में एनसीपी प्रमुख शरद पवार, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) नेता फारूक अब्दुल्ला, पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती, रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी आदि शामिल रहे. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लोकसभा में पार्टी की उप नेता काकोली घोष दस्तीदार को भेजा था.