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संसदीय समिति ने कहा, बुजुर्गों को रेल किराये में छूट देना जरूरी

नई दिल्ली . संसद की एक स्थायी समिति ने एक बार फिर अपनी सिफारिश को दोहराते हुए कहा है कि रेल किराये में वरिष्ठ नागरिकों को दी जाने वाली छूट को फिर शुरू करने की जरूरत है. कोरोना महामारी का प्रभाव समाप्त हो गया है और रेलवे का राजस्व पटरी पर आ गया है.

समिति ने कहा, वरिष्ठ नागरिकों को सभी रेलगाड़ियों में कम से कम एसी-3 व स्लीपर श्रेणी के किराये में छूट देने की जरूरत है. जिससे आर्थिक रूप से कमजोर व जरूरतमंद वरिष्ठ नागरिक इसका लाभ उठा सकें. समिति ने रेलवे को इस विषय पर भावनात्मक रूप में विचार करने के लिए कहा है. रेल संबंधी संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष राधा मोहन सिंह ने सोमवार को संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में यह उल्लेख किया.

समिति ने कहा कि रेलवे ने 20 मार्च 2020 में महामारी और कोविड प्रोटोकाल के मुद्देनजर वरिष्ठ नागरिकों सहित विभिन्न श्रेणी में दी जाने वाली रियायत को बंद कर दिया. रेलवे 58 वर्ष की महिला को रेल किराये में 50 फीसदी और 60 वर्ष के पुरुष को 40 फीसदी रियायत देती है. समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा, महामारी का प्रभाव समाप्त हो चुका है. रेलगाड़ियों और मालगाड़ियों का परिचालन सामान्य रूप से हो रहा और इससे रेलवे राजस्व भी प्राप्त कर रहा है. अब रेलवे को राजधानी एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस, दुरंतो, मेल-एक्सप्रेस ट्रेन के एसी-3 व स्लीपर श्रेणी में वरिष्ठ नागरिकों को रेल किराये में नियम के मुताबिक छूट देने की व्यवस्था लागू करनी चाहिए.

समिति ने नाराजगी जताई संसद की समिति ने वंदे भारत रेलगाड़ियों के उत्पादन की रफ्तार पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि वर्ष 2023 के लिए 35 रेक तैयार करने के लक्ष्य की तुलना में केवल आठ रेक का निर्माण किया जा सका है.

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