
नई दिल्ली. भारत की अध्यक्षता में हो रहे जी-20 शिखर सम्मेलन में महामारियों से निपटने के लिए एक वैश्विक तंत्र की स्थापना को मंजूरी मिल सकती है. इस तंत्र में टीकों, दवाओं तथा जांचों को विकसित करने से लेकर डिजिटल समाधानों को अपनाने के प्रावधान किए जाएंगे, ताकि कोरोना महामारी जैसी बीमारियों का सामना दुनिया फिर करे तो उसका मजबूती से मुकाबला किया जा सके.
शिखर सम्मेलन से पूर्व स्वास्थ्य पर बने कार्य समूह की तीन बैठकों और उसके बाद गांधीनगर में हुई स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक में महामारियों से निपटने के लिए तंत्र विकसित करने के मुद्दे पर व्यापक विमर्श हुआ है. बाद में मंत्रियों की बैठक के बाद जिन प्रस्तावों को मंजूरी के लिए भेजा गया है उसमें आपातकालीन स्थितियों से मुकाबले के इंतजाम का मुद्दा प्रमुख है. इसमें तीन बिन्दुओं पर सिफारिशें हुई है. जिन्हें शिखर सम्मेलन में भी मंजूरी मिलने के आसार हैं. एक, ऐसी आपात स्थितियों से निपटने के लिए डब्ल्यूएचओ के तहत बाध्यकारी कानूनी व्यवस्था कायम हो. कोशिश यह है कि मई, 2024 तक यह व्यवस्था बना ली जाए. इसके अलावा आपात स्थिति खासकर महामारी की स्थिति में टीकों, जांच सामग्री तथा दवाओं पर अनुसंधान एवं उनके निर्माण के लिए एक वैश्विक नेटवर्क स्थापित हो. इससे फायदा यह होगा कि दुनिया में सभी देशों को समान रूप से ऐसी स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने का मौका मिलेगा.
डिजिटल स्वास्थ्य पर सहमति के आसार
आपात स्थितियों से निपटने और सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवाओं के लक्ष्यों को प्राप्ति के लिए ही डिजिटल स्वास्थ्य समाधान को लेकर भी सभी देशों के बीच सहमति बनने के आसार हैं. इसके तहत ओपन सोर्स डिजिटल हेल्थ समाधान को बढ़ावा देना है. इसमें डिजिटल तकनीकों के अधिक से अधिक इस्तेमाल सुनिश्चित करना है, लेकिन कम आय वाले देशों के लिए यह कैसे सुनिश्चित होगा, इसका कोई तंत्र स्थापित किया जाना है. सूत्रों के अनुसार इस दौरा महमारी कोष को क्रियाशील बनाने पर भी सहमति होगी.