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S-400: 2023 की शुरुआत से ही एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की तीसरी खेप सौंपेगा रूस

रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग के बावजूद, भारत को रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की तीसरी खेप अगले साल जनवरी-फरवरी से मिलनी शुरू हो जाएगी. रक्षा सूत्रों ने इसके बारे में जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि भारतीय दल सहित वायु सेना के जवान उपकरणों के लिए इस समय रूस में हैं. ऐसे में एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की तीसरी खेप की आपूर्ति तय समय सीमा में करने की योजना है. गौरतलब है कि बीते साल दिसंबर में रूस से मिले मिसाइल डिफेंस सिस्टम की पहली खेप को सेना ने पंजाब सेक्टर में तैनात किया था. भारत के खेमे में शामिल इस रूसी वायु रक्षा प्रणाली से दुनिया भर के तमाम देश खौफ खाते हैं. यह एक प्रकार का एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम है, जो दुश्मन के एयरक्राफ्ट को आसमान में ही गिरा सकता है. 

सूत्रों ने बताया कि तीसरी खेप की आपूर्ति के संबंध में भुगतान अमेरिका के काट्सा कानून से बचने के लिए विशेष तरीके से करना है. पहले दो खेपों की आपूर्ति के दौरान भुगतान के इस पहलू को सुलझाने के लिए कौन से चैनल का प्रयोग किया गया है, अधिकारियों ने इसका खुलासा नहीं किया है.

दरअसल, अमेरिका ने 2017 में काट्सा एक्ट (CAATSA) के तहत प्रतिबंधित देशों के साथ व्यापार करने वाले देशों के खिलाफ भी प्रतिबंध लगाने का कानून लाया था. इस एक्ट के तहत अमेरिका के कथित दुश्मन रूस, ईरान, वेनेजुएला और उत्तर कोरिया जैसे देशों से व्यापारिक संबंध रखने वाले अन्य देशों पर यह एक्ट प्रभावी होता है.

इस कारण रूस से लगातार हो रही रक्षा डील के भुगतान में बाधा पैदा हो रही है. क्योंकि वैश्विक मुद्रा डॉलर में रूस को अब भुगतान नहीं किया जा सकता है. इसलिए भारत और रूस ने मिलकर बीच का रास्ता निकाला है. इससे काट्सा एक्ट से भी बचा जा सकेगा.

S-400 मिसाइल सिस्टम तैनात कर चुका भारत

भारत ने पहले ही S-400 मिसाइल सिस्टम के अपने पहले दो स्क्वाड्रन को चालू कर दिया है. पश्चिम बंगाल और पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में संवेदनशील चिकन नेक कॉरिडोर के साथ-साथ लद्दाख सेक्टर तक निगरानी और सुरक्षा के लिए पहले दो स्क्वाड्रन की खेप तैनात की गई हैं. विभिन्न रेंज से लैस मिसाइलों की यह प्रणाली दुश्मन की बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों, लड़ाकू विमानों और 400 किलोमीटर तक की दूरी पर उड़ने वाले मानवरहित हवाई वाहनों का खात्मा कर सकती है.

पांच खेप हासिल करने का है सौदा

भारत और रूस के बीच हुए S-400 मिसाइल सिस्टम का यह सौदा 35,000 करोड़ रुपये से अधिक का है. इस सौदे के तहत तीन सालों में भारत को रूस से रक्षा मिसाइलों के पांच स्क्वाड्रन हासिल करने हैं. साथ ही अगले वित्तीय वर्ष के अंत तक सभी पांचों खेप की डिलीवरी पूरी होने की उम्मीद है.

मिसाइल एस-400 की खासियत

S-400 मॉर्डन वारफेयर का सबसे उन्नत हथियारों में से हैं.

यह एक प्रकार का एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम है, जो दुश्मन के एयरक्राफ्ट को आसमान में ही गिरा सकता है.

ये मिसाइल लंबी दूरी तक मार करने की क्षमता रखती है.

S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली चार अलग-अलग मिसाइलों से लैस है.

S-400 मिसाइल दुश्मन के विमानों, बैलिस्टिक मिसाइलों और AWACS विमानों को 400 किमी, 250 किमी, मध्यम दूरी की 120 किमी और कम दूरी की 40 किमी पर मार सकती है.

ये मिसाइल जमीन से 100 फीट ऊपर उड़ रहे खतरे की पहचान कर सकता है.

 रूस है भारत का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता

गौरतलब है कि रूस भारत को हथियार प्रणालियों के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ताओं में से एक है. वर्तमान में भी तीनों सेनाएं रूस से सैन्य आपूर्ति पर बहुत अधिक निर्भर हैं. बीते कुछ सालों में, भारत ने रूस के प्रतिद्वंद्वी, अमेरिका के साथ ही फ्रांस सहित यूरोपीय देशों से हथियार हासिल किए हैं. इसके बावजूद अभी भी भारतीय वायु सेना और सेना में रूस से हासिल की गई 50 प्रतिशत से अधिक युद्ध प्रणाली है.

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