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रामचरितमानस पर समाजवादी पार्टी नेता स्वामी प्रसाद का विवादित बयान

समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रविवार को विवादित बयान देते हुए कहा, हिंदू धर्मग्रंथ रामचरितमानस को प्रतिबंधित कर देना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसमें लिखे गए कुछ अंशों में पिछड़ी जातियों पर अपमानजनक टिप्पणियां की गईं हैं.
मौर्य ने बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्रत्त्ी पर तंज कसते हुए कहा कि अगर बाबा के ही पास सारी बीमारियों का इलाज है तो सरकार बेकार में ही अस्पताल और मेडिकल कॉलेज चला रही है.
हाल ही में रामचरितमानस पर बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने भी विवादित बयान देते हुए कहा था कि यह नफरत फैलाने वाला ग्रंथ है. उन्हें अपने बयान के चलते चौतरफा कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा था.
स्वामी प्रसाद मौर्य ने मीडिया से कहा कि हालांकि हम उसे धर्मग्रंथ नहीं मानते हैं. तुलसीदास खुद मानते हैं कि उन्होंने मानस स्वान्त सुखाय लिखा है. फिर भी अगर यह ग्रंथ हैं तो पिछड़ी जातियों को नीच जाति क्यों कहा गया.
उन्होंने कहा कि सरकार तुलसीदास की रामचरितमानस को प्रतिबंधित नहीं कर सकती तो उन दोहों को रामायण से निकाल देना चाहिए. स्वामी प्रसाद ने बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्रत्त्ी पर तंज करते हुए कहा कि धर्म के ठेकेदार ही धर्म का सौदा कर रहे हैं, यह देश का दुर्भाग्य है.

एमएलसी के इस बयान के बाद न केवल विपक्षी नेता बल्कि पार्टी के भी नेताओं ने उनपर तीखा हमला बोला है. सपा नेता ऋचा सिंह ने कहा, “छद्म समाजवादी स्वामी प्रसाद मौर्य को लोहिया जी के समाजवाद को पढ़ना चाहिए जो समाजवाद और श्रीराम में सामंजस्य देखते हैं. साथ ही इस बात का भी स्पष्टीकरण देना चाहिए अभी तक अपनी बेटी को उन्होंने समाजवाद रास्ता क्यों नहीं दिखाया या वो भी अवसर आने पर.”

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