सुप्रीम कोर्ट इच्छामृत्यु में संशोधन पर करेगा विचार

नई दिल्ली . उच्चतम न्यायालय ने 2018 में इच्छा मृत्यु को लेकर दिए अपने ऐतिहासिक फैसले में बदलाव के संकेत देते हुए कहा कि वो इच्छा मृत्यु के लिए निर्धारित प्रक्रिया और दिशा-निर्देशों को व्यवहारिक बनाने के लिए सुधार कर सकता है.
न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने बुधवार को सुनवाई के दौरान कहा कि अदालत के स्पष्टीकरण से और अधिक भ्रम पैदा नहीं होना चाहिए. दिशा-निर्देशों में केवल थोड़ा सा बदलाव किया जा सकता है वरना ये कोर्ट के अपने ही 2018 के फैसले की समीक्षा करना जैसा होगा.
तय कर सकता है समय सीमा पीठ ने कहा कि वह एक समय सीमा तय कर सकता है, जिसके भीतर मेडिकल बोर्ड को मरणासन्न रोगी से कृत्रिम जीवन समर्थन प्रणाली को हटाने की रिपोर्ट जमा करनी होगी. यह विधायिका पर निर्भर करता है कि वह गंभीर रूप से बीमार रोगियों के लिए कानून बनाए जो अपना इलाज नहीं कराना चाहते बस शांति से मरना चाहते हैं, लेकिन कानून और कोर्ट के 2018 में दिए आदेश और दिशा निर्देश उसे इसकी इजाजत नहीं देते. गैर सरकारी सामाजिक संस्था कॉमन कॉज की और से दाखिल जनहित याचिका में सुप्रीम कोर्ट की पिछली संविधान पीठ के फैसले के कुछ प्रावधानों में बदलाव के लिए अपील की गई है. अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने तर्क दिया कि वर्तमान कार्यवाही बहुत संकीर्ण दायरे में आती है.