महिला को कंगाल परिवार से होने का ताना देना क्रूरता अदालत

नई दिल्ली. तलाक के एक मामले में अदालत ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. अदालत ने कहा कि अगर किसी महिला को बार-बार पति और ससुरालवालों की तरफ से कंगाल (आर्थिक रूप से कमजोर) परिवार से होने के कारण ताने दिए जाते हैं तो यह क्रूरता की श्रेणी में आता है. इन हालातों में अगर महिला पति से अलग होना चाहती है और चैन से जीने का अधिकार मांगती है, तो इसे स्वीकार किया जाना कानूनन सही है.
फैमिली कोर्ट के अतिरिक्त प्रिंसीपल न्यायाधीश अजय पांडे की अदालत ने पति की दलीलों को खारिज करते हुए महिला की तलाक याचिका को मंजूर कर लिया है. अदालत ने कहा कि आमतौर पर लड़का-लड़की दोनों के परिवारों की सहमति से होने वाली शादियों में पहले से दोनों परिवारों के परिवेश की स्थितियां स्पष्ट होती हैं. शादी से पहले से लड़की के परिवार के आर्थिक हालात को जानने के बावजूद उसे बार-बार कंगाल परिवार से होने अहसास कराना सीधे-सीधे मानसिकतौर पर प्रताड़ित करना है. महिला ने डेढ़ दशक से ज्यादा समय तक इस उत्पीड़न को सहा है.
पति ने तलाक याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह सही है कि उसने गलती से पत्नी को यह शब्द कहा है. गुस्से में यह शब्द उसके मुंह से निकल गया. इस पर अदालत ने पति को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि महिला को आपकी प्रताड़ना के कारण मनोचिकित्सक से उपचार कराना पड़ा है और आप इसे मामूली गलती बता रहे हैं. यह दलील देकर पति ने असंवेदनशीलता का परिचय दिया है. इससे साफ है कि उसे पत्नी की आहत होती भावना से कोई फर्क नहीं पड़ा.
मनोचिकित्सक की रिपोर्ट और ऑडियो पेश किए महिला ने तलाक याचिका के साथ मनोचिकित्सक द्वारा लिए गए उपचार के दस्तावेज और कुछ ऑडियो पेश किए.
उच्च न्यायालय ने बुधवार को न्यायिक अधिकारी से जुड़े अश्लील वीडियो सभी सोशल मीडिया मंचों से हटाने के आदेश दिए हैं. अदालम ने सभी सोशल मीडिया मंचों से कहा है कि यदि अब तक वीडियो और इसके लिंक को हटाने के लिए पिछले आदेश का पालन नहीं किया है तो इस पर तत्काल अमल करें.
जस्टिस यशवंत वर्मा ने उस याचिका पर यह आदेश दिया है, जिसमें वीडियों को फेसबुक, ट्विटर, गूगल, यूट्यूब, व्हाट्सऐप जैसे सोशल मीडिया से हटाने, साझा करने पर रोक लगाने की मांग की है. उच्च न्यायालय ने 30 नवंबर, 2022 को सभी सोशल मीडिया मंचों को न्यायिक अधिकारी से जुड़े अश्लील वीडियो को कहीं साझा करने, किसी को भेजने अपलोड करने पर रोक लगाने का निर्देश दिया था.


