
देश के 24 प्रदेशों और 8 महानगरों में रह रहे करीब 66.9 करोड़ लोगों की डाटा चोरी मामले में अब राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की भी एंट्री हो गई है. देश की प्रमुख सुरक्षा एजेंसी हैदराबाद के साइबराबाद पुलिस के संपर्क में है.
उधर, साइबराबाद पुलिस आरोपी विनय भारद्वाज को फिर से रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी. रिमांड के दौरान एनआईए भी आरोपी से पूछताछ कर सकती है. आरोपी न्यायिक हिरासत में जेल में बंद है.
साइबराबाद पुलिस डीसीपी कमलेश्वर ने बताया कि 66.9 करोड़ लोगों की डाटा चोरी मामले में हरियाणा की फरीदाबाद के अलावा पश्चिम बंगाल की कोलकाता की पुलिस ने संपर्क किया है. इसके अलावा देश की प्रमुख सुरक्षा एजेंसियां भी संपर्क में है. सभी को मामले की जांच संबंधित मांगी गई जानकारियां दी जा रही हैं. सूत्रों के अनुसार, एनआईए अभी अपने स्तर पर जांच-पड़ताल कर रही है. आधिकारिक तौर पर उसे मामला नहीं सौंपा गया है. देश की सुरक्षा से संबंधित किसी मामले में एनआईए सीधे हस्तक्षेप कर सकती है. लिहाजा साइबराबाद पुलिस के अनुसार गिरफ्तार आरोपी के पास से देश की सुरक्षा संबंधित कई अहम डाटा मिले हैं. आशंका है कि उसने और उसके गिरोह में शामिल लोगों ने सुरक्षा से जुड़े कई लोगों और अधिकारियों का डाटा चुराया है. ऐसे में एनआईए अपने स्तर पर तफ्तीश कर रही है.
लोगों को 140 हिस्सों में बांटा डीसीपी कमलेश्वर के मुताबिक, आरोपी ने डाटा चोरी के लिए लोगों को 140 हिस्सों में बांटा हुआ था. आरोपी के दो मोबाइल फोन और लैपटॉप में मिले साक्ष्य में देखा गया है कि उसने बैंक, सुरक्षा, पुलिस, शिक्षा, ट्रैफिक, उद्यमी, शिक्षक, नौकरीपेशा और अन्य लोगों को अलग-अलग भागों में बांट रखा था.
उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा डाटा चोरी
अधिकारियों के अनुसार सबसे अधिक उत्तर प्रदेश के लोगों के डाटा की चोरी हुई है. जांच में उत्तर प्रदेश के करीब 21.39 करोड़ लोगों का डाटा चुराने की बात सामने आई. महराष्ट्र के 4.50 लाख और हरियाणा के करीब एक करोड़ लोगों की निजी जानकारियां गिरफ्तार आरोपी के पास मिलीं.
आरोपी ने सुरक्षा से जुड़े लोगों को बनाया शिकार
सूत्रों के मुताबिक, आरोपी ने सबसे अधिक सुरक्षा से जुड़े लोगों का डाटा चोरी किया. वहीं, पुलिस और ट्रैफिक से संबंधित लोगों का डाटा भी चुराया गया. उद्योग व उद्यमियों के बैंक अकाउंट, क्रेडिट कार्ड, लेन-देन संबंधित जानकारी भी जुटाने की बात सामने आ रही है. हरियाणा में शिकार करीब एक करोड़ लोगों में से अधिकांश पुलिस, उद्यमी व सुरक्षा एजेंसी से जुड़े लोग हैं.