एक मां के अपनी एक साल की बेटी बेचनेे को मुंबई उच्च न्यायालय ने बेहद आपत्तिजनक बताया

मुंबई . बंबई उच्च न्यायालय ने एक साल की एक लड़की को खरीदने की आरोपी महिला को जमानत देते हुए कहा कि 21वीं सदी में भी लड़कियों को एक वस्तु की तरह इस्तेमाल करने और वित्तीय लाभ के लिए उन्हें माध्यम के रूप में इस्तेमाल करने की घटनाएं हो रही हैं.
न्यायमूर्ति एसएम मोदक की एकल पीठ ने पिछले साल महाराष्ट्र में सातारा पुलिस द्वारा गिरफ्तार की गई 45 वर्षीय अश्विनी बाबर की जमानत याचिका पर आठ फरवरी को पारित अपने आदेश में कहा कि नैतिकता और मानवाधिकारों के सिद्धांतों के संदर्भ में यह बेहद आपत्तिजनक है कि एक साल की लड़की को उसकी मां ने बेच दिया.
बंबई उच्च अदालत ने बाबर को 25,000 रुपये के मुचलके पर यह कहते हुए जमानत दे दी कि उसे जेल में रखने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि मामले की सुनवाई जल्द शुरू नहीं होगी और उसके खुद दो छोटे बच्चे हैं तथा उनके कल्याण पर भी विचार करने की जरूरत है.
अभियोजन पक्ष के अनुसार, मामले में आरोपी बाबर और उसके पति ने एक साल की बच्ची को पैसे की सख्त जरूरत वाली बच्ची की मां को दिए गए कर्ज के बदले में खरीदा था.
जब कर्ज चुकाए जाने के बावजूद आरोपी दंपति ने बच्ची को वापस करने से इनकार कर दिया, तो बच्ची की मां ने इस बारे में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. बाद में, बच्ची को उसकी मां को लौटा दिया गया.
अदालत ने अपने आदेश में कहा, हम 21वीं सदी में हैं, अब भी ऐसी घटनाएं होती हैं, जिनमें लड़कियों को वस्तु समझा जाता है और उन्हें वित्तीय लाभ के लिए एक माध्यम के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.